Thursday, October 2, 2008

गांधी जी आज होते तो कया होता?

गांधी जयन्ती के बहाने देश के करोड़ों नौकरीशुदा लोगों को एक दिन की छुट्टी मिल जाती है....लेकिन बापू की १३९ वें दन्मदिन पर हमारे मित्रों के बीच गांधी जी की प्रासंगिकता आज के बक्त में ...इसे लेकर बहसमुबाहिसा शुरू हो गया ...सवाल बड़ा अहम है..क्योंकि ये केवल हम ही नहीं पूछ रहे बल्कि २ अक्टूबर को अपने दर्शकों की भवना की पड़ताल करने में लगे टीवी चैनल्स ने अपने अपने स्तर पर सवाल पूछए...किकके पास कितने एसएमएस आये ...किसके पास कितने ईमेल आए...इन सबका तथाकथित आंकड़ा निकालने के बाद तमाम आरोपों को ढ़ो रहे चीवीन्यूज चैनल्स ने इन आंकड़ो के बूते क्यानिष्कर्ष निकाले .....ये एक अलग मुद्दा है....लेकिन यूं ही सही अगर मुद्दा उठा है..तो इसे हल्के में नहीं लिया जा सकता ....क्योंकि जब एक बन्दे के दम की जांच पड़ताल करती फिल्म को देखने के बाद ...सैकड़ों लोग नवोदित गांधीगिरी पर उतर सकते हैं..तो क्या आज के वक्त में ख़ुद उस बन्दे की मौजूदगी कुछ औऱ भई नहीं कर सकती है......क्या आप सोचते हैं कि दुनिया को नई दिशआ देने वाले इस नेता के आज के वक्त में कोई प्रासंगिकता है...तो लिखिये

2 comments:

विचारधारा said...

गाँधी जी के बारे में लिखा गया आपका लेख निः संदेह चिंतनीय है , परन्तु उनके विचार अधिक विचारनीय है।

अभिषेक मिश्र said...

gandhi Ji ko aaj bhi log adhi se adhik janane ke liye utsuk hain yeh unke vicharon ki sarvakalik prasangikta hi hai. gandhiji par maine bhi apne blog par kuch vichar rakhe hain.Aapki pratikriya ki pratiksha rahegi.